भारत की नदियाँ / परियोजनाएं / जल विवाद
भारत में लगभग 400 नदियाँ (rivers in India )हैं। जिसमें 14 बड़ी तथा 44 मंझौली नदियाँ हैं।भारत की नदियाँ जहाँ अनेक परियोजनाएं चल रही हैं और दो देशों के बीच जल विवाद भी हो रहे हैं
- कोई नदी जितने क्षेत्र का जल लेकर समुद्र में मिलती है उसे उस नदी का बेसिन या दोणी कहा जाता है।
- यदि बेसिन 20,000 km.2 से बड़ी है तो ऐसी नदियों को बड़ी नदी कहते हैं तथा जिन नदियों का बेसिन 2000 Km2 से छोटी हो तो ऐसी नदियों को छोटी नदी कहा जाता है।
- किसी नदी में मिलने वाली सभी छोटी नदियों को उसकी सहायक नदी कहा जाता है। यदि कोई नदी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है तो वे शाखायें वितरिका कहलाती है।
- नदी जिस क्षेत्र में समाप्त होती है उसे नदी का मुहाना कहते हैं।
- मैदानी क्षेत्रों से प्रवाहित होने वाली नदियाँ अपने साथ सिल्ट या गाद लेकर चलती है तथा समुद्र तट पर इस मिट से
डेल्टा का निर्माण करती है। - विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा गंगा-ब्रहमपुत्र द्वारा निर्मित सुंदरवन डेल्टा है जो भारत में है.
- डेल्टा के स्थान पर एश्चुअरी का निर्माण तब होता है जब नदी पथरीले वाले इलाके से प्रवाहित होती है.
- नर्मदा-ताप्ती एश्चुअरी का निर्माण करती है।
- यदि नदी पथरीले इलाके में प्रवाहित होती है तो डेल्टा के स्थान प्रवाहित होती है एश्चुमरी का निर्माण करती है। यदि नदी दो पर्वतों के मध्य प्रवाहित होती है तो Rifi Valley का निर्माण करती है।
- नदी दिन प्रतिदिन इसे गहरा करती जाती है जिसे गार्ज कहते हैं।
- चम्बल नदी अपने मार्ग में महारखइड का निर्माण करती है। यह अत्यधिक भूमि कटान के लिए जानी जाती है।
- यदि कोई पहाड़ नदी के प्रवाह को दो भागो में विभाजित करता है करता है तो इसे जल विभाजक कहते हैं।
- अरावली और पाश्चमी घाट प्रसिद्ध जलविभाजक है। भारत की 77% नदियों को जल बंगाल की खाड़ी एवं 23% अरब सागर में गिरता है । प्रवाह की दृष्टि से भारतीय नदियों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है।
- पूर्ववर्ती [Antecedent] अपवाह
- अपवर्ती [Consequent] अपवाह
पूर्ववर्ती अपवाह :-
ये नदियाँ सामन्यतः अपने मार्ग की बाधाओं को काटकर आगे बढ़ती है। हिमालय की नदियां सामन्यतः पूर्ववर्ती अपवाह की हैं।
अपवर्ती अपवाह :-
जो नदियाँ ढाल की ओर बढ़ती हैं। अपवर्ती अपवाह की श्रेणी में आती हैं .
प्रायद्वीपीय नदिया
भारतीय नदियों को 2 अन्य श्रेणियों में भी वर्गीकृत किया जाता है
हिमालयी या उत्तर भारतीय नदियाँ प्रायद्वीपीय नदियाँ
उत्तर भारतीय नदियाँ – इन नदियों का उद्घाम उत्तर भारत के Glacion गोमती पीलीभीत के दलदलों से निकलती है।
हिमालयी नदियों को एक चौथाई जल ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त होताहै।
विध्य और अरावली से निकलने वाली इन्ही नदियों में मिल जाती हैं। नदियाँ भी हिमालयी नदियाँ अपेक्षाकृत युवा हैं अभी इनका मार्ग. निश्चित नहीं हुआ है अतः इनमें बाढ़ आती रहती है। है ये नदियाँ नरम धरातल से प्रवाहित होती हैं अतः मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती है। इन नदियों में वर्षभर जल रहता है अतः इनमें नववहन संभव है।
प्रायद्वीपीय नदियाँ – इन नदियों का उद्गम पश्चिमी घाट है। वर्षाजल से जलापूर्ति होती है। ग्रीष्म ऋतु में इनमें जल का अभाव हो जाता है।
कावेरी इसका एकमात्र अपवाद है क्योंकि उसे ग्रीष्मकालीन एवं शीतकालीन दोनों ही मानसूनों से जल प्राप्त होता है। प्रायद्वीपीय नदियाँ अपेक्षाकृत प्रौढ़ है यह अपना मार्ग निर्धारित कर चुकी है।
अपेक्षाकृत सख्त भूमि पर बहने के कारण ये छोटे डेल्टों का निर्माण करती है।
कृष्णा और गोदावरी का डेल्टा मिलकर एक हो गया है। ताप्ती के बाद अधिकांशतः नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
कर्नाटक की शरावती, केरल की पेरियार इसका अपवाद है।
भारत
में बहने वाली सबसे
बड़ी नदी गंगा है
(2525 km ), ब्रहमपुत्र की लम्बाई 2900 Km. है।
परन्तु भारत में 2900k·m. में
इसकी अपवाह मात्र 100 km. है यह भारत
की सबसे चौड़ी नदी
है। तीस्ता सबसे तेज गति
से बहती है। ब्रहमपुत्र
के पास सर्वाधिक सहायक
नदियाँ हैं। गंगा का
बेसिन सबसे बड़ा है।
( 9 लाख वर्गk.m)
असम
में सर्वाधिक नदियाँ हैं।
हरियाणा
में मात्र एक नदी घटघर
हैं।
T-M-C [Thousand Million Cubic feel] नदीजल कुल
मात्रा को व्यक्त करता
है।
Cusec [Cubic feet Per Second] प्रवाह
कोव्यक्तकरताहै।
नदी
के जल के किसी
अन्य नदी
को उसकी सहायक नदियों
के साथ मिलाकर नदीतंत्र
कहा जाता है। जो
मिलकर बड़ी नदी का
निर्माण करते
है
सिन्धु
नदीतन्त्र
नदी
→ उद्गम → मुहाना→ सहायक नदियाँ
सिन्धु
→ कैलाश मानसरोवर → अरबसागर → [ झेलम → चिनाब →रावी → व्यास → सतलुज ][भारत
में लद्दाख और जास्कर के
मध्य लेह से गुजरने वाली
चिनाब सबसे बड़ी सहायक
नदी है ]
झेलम
→G.K. → बेरीनाग झील → चिनाब → [किशनगंगा]( श्रीनगर,
झेलम तट पर ही
है)
चिनाब
→ बारालाचा दर्रा ( हिमाचल प्रदेश )→ सिन्धु →[ चन्द्रा → भागा]( जम्मू, चिनाब के तट पर
ही स्थित है)
रावी
→ रोहतांगदर्रा ( हिमाचलप्रदेश) → चिनाब(लाहौर,
रावी तट पर स्थित
है)रोहतांग
दर्श > हरि के बैराज
के पास सतलुज
(हिमाचल
प्रदेश)
( हरि
के बैराज से ही इन्दिरागांधी
नहर निकाली गयी)
सतलुज
→ राक्षस ताल (तिब्बत)→ चिनाब
(पाकिस्तान)
( भारवडा
नागल बाँध सतलुज नदी
पर ही है)
गंगा
नदीतन्त्र
गंगा
→ गंगोत्री (उत्तरकाशी )→ बंगाल की
खाड़ीसहायक नदियाँ – ( बाएँ तट से
रामगंगा, शारदा या सरयू, घाघरा,
गंडक, गूढ़ी गंडक, कोसी
और महानंदा | दायें तट से यमुना
सोन, दामोदर आदि) टोंस या
तमसा,
- विशेष
– गंगा के उद्गम के
समय गंगा को सर्वप्रथम
भागीरथी के नाम से
जानी जाती है। - गंगा का जन्म
देवप्रयाग में माना जाता है क्युकी यहां अलकनंदा गंगा नदी
में मिलती है और यहीं से गंगा नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है । - इस नदी को उभागों
में विभक्त किया जाता है।
महासपुर तक ऊपरी गंगा,
सहारनपुर से बनारस तक
मध्यवांगा, बनारस से गंगासागर तक
निम्न गंगा । - बंगाल में बांगा दो
शारखाओं में विभक्त हो
जाती है। भारत में
भागीरथी, हुगली तथा बांग्लादेश में
पद्मा | - पद्मा
और ब्रह्मपुत्र के मेल से
मेघना का उदय हुआ।
गंगा को भारत की
राष्ट्रीय नदी घोषित किया
गया है। - सुईस
( मीठे पानी की डाल्फिन)
को राष्ट्रीय जलीय जन्तु घोषित
किया गया है। - (Gangg
Basin Authority) का गठन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में किया गया था
उत्तराखण्ड,
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पाश्चम बंगाल
यमुना → यमुनोत्री
(उत्तर काशी) → प्रयाग में गंगासहायक
नदियाँ – बाएँ
तट से हिण्डन, वरुणा,
सेंगर, रिंद दायें से-
चम्बल, बेतवा, केन(
गंगा की सबसे बड़ी
सहायक नदी ये हैं )
रामगंगा
→गढ़वाल हिमालय → कन्नौज में गंगा(रामगंगा
तराई की डिस्टलरी और
Sugar mills का गंदा पानी गंगा
में मिला देती है।
)
शारदा
या सरयू → मिलाप ग्लेसियर ( कुमाऊं )→ बरामघाटसहायक
नदी – (घाघरा )(यह
काली, सरयू और गौरी
गंगा के नाम से
भी जानी जाती है)
घाघरा
→ मापचा चुंगी (ट्रांस हिमालय) → गंगा →ताप्ती
→शारदा
कोशी
→ पूर्वी नेपाल→ गंगा →साल छोटी नदियाँ
जिन्हे नेपाल में सप्तकौशिकी कहा
जाताहै।
( मार्ग विक्षेपण
के लिए जानी जाती
है इसे बिहार का
शोक भी कहा जाता
है)
नदी जल
विवाद
अनु. 262
के अनुसार – अन्तरराज्यीय नदी जल जाता
है। विवादों का निपटारा संसद
द्वारा किया जाता है .
भारत के
विभिन्न राज्यों के नदी जल
विवाद हैं।
सतलुज नदी
जल विवाद :- सतलुज के जल को
एक नहर के द्वारा
यमुना तक पहुंचाने का
प्रस्ताव है। इससे हरियाणा
को सतलुज का जल मिल
सकेगा। 1982 में सर्वोच्च न्यायालय
ने इस संदर्भ में
दिशा-निर्देश दिए। ने इराडी आयोग
का गठन इसी उद्देश्य
से किया गया यस्तु
अब भी यह मसला
विवादित है।
यमुना जल विवाद- यमुना के
जल को लेकर U.p., हरियाणा,
दिल्ली के मध्य विवाद
है।
गोदावरी जल
विवाद- गोदावरी के जल के
संदर्भ में विवाद है
। (महाराष्ट्र व आन्ध्र प्रदेश)
कृष्णा नदी
जल विवाद- कृष्णा के जल को
लेकर कर्नाटक एवं आन्ध्र में
विवाद है।
1976 में इसके लिए
भी बछावर आयोग गठित किया
गया।
1964 में कर्नाटक में
कृष्णा पर अलबट्टी बाँध
का निर्माण किया गया। जिसे लाल
बहादुर शास्त्री बाँध भी कहते
हैं।
कावेरी नदी
जल विवाद- कावेरी जल विवाद सबसे
पुराना जल विवाद है।
यह ब्रिटिश काल से ही
अस्तित्व में है।
1914 में इसके लिए
griffin commission गठित
कियागया।
सर्वोच्च न्यायालय
के निर्देश पर N.K. सिंह की अध्यक्षता
में एक Tribunal बनाया गया। ने चार
राज्यों के मध्य जल
के बंटवारे का सुझाव दिया।
– कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी !
भारत और भारत के पड़ोसी देशों के मध्य कुछ जल विवाद
भारत-पाकिस्तान
भारत-पाकिस्तान
के मध्य सिन्धु जल
को लेकर विवाद है।
1960 में भारत-पाकिस्तान के
मध्य सिन्धु जल समझौता हुआ। इसके तहत
सिन्धु, झेलम, चिनाब के जल पर
पाकिस्तान को विशेषाधिकार दिया
गया |
रावी, व्यास,
सतलुज के जल पर
भारत को वरीयता दी
गई । इस प्रकार
80% जल पाकिस्तान को सौंप दिया
गया । परन्तु पाकिस्तान
को अभी भी भारत
की अनेक परियोजनामा पर
आपत्तिहै।
झेलम पर
बन रहे किशनगंगा और
बुल्लर
बैगज (बुलबुल
परियोजना)
चिनाब पर
दुलहस्ती और सलाल बाँध
!
विश्व बैंक
ने रेमण्ड की अध्यक्षता में
एक | Tribunal का गठन किया
जिसने भारत के पक्ष
में निर्णय दिया।
भारत-बांग्लादेश
भारत बांग्लादेश
के पास 54 साझा नदियाँ हैं।
गंगा, तीस्ता और बराक के
जल बंटवारे को लेकर दोनों
देशों में विवाद है।
कलकत्ता बंदरगाह की जलापूर्ति के
लिए भारत ने मुर्शिदाबाद
में फरक्का बैराज स्थापित किया है। बांग्लादेश
ने इस पर आपत्ति
की । 1997 में गंगा जल
के बँटवारे को लेकर दोनों
देशों में एक समझौता
किया गया।
भारत, पश्चिम
बंगाल में तीस्ता taw Dam project. का निर्माण
कर रहा है ।
जिस पर
बांग्लादेश को आपत्ति है।
माणिपुर में बराक नदी
पर तिपाई मुख परियोजना का
निर्माण किया जा रहा
है। बांग्लादेश को इसपर भी
आपत्ति है।
भारत-नेपाल
भारत और
नेपाल के मध्य महाकाली,
गण्डक और कोसी नदियों
को लेकर विवाद है
महाकाली उत्तराखण्ड
और नेपाल की सीमा बनाती
है। इस पर शारदा,
पंचेश्वर और टनकपुर बाँध
निर्मित किये गये हैं।
भारत-चीन.
चीन, ब्रह्मपुत्र
की धारा को उत्तर
की ओर मोड़ना चाहता
है जिसपर भारत को आपत्ति
है।
परियोजना |
नदी (राज्य) |
इडुक्की परियोजना |
पेरियार नदी (केरल) (कनाडा के सहयोग से) |
VKAI |
ताप्ती नदी (गुजरात) |
जायकवाड़ी परियोजना |
गोदावरी (महाराष्ट्र) |
धीन |
रावी नदी (पंजाब) |
काकराबाँध परियोजना |
7 ताप्ती नदी (गुजरात) |
कोल |
सतलुप (हिमाचल |
दुलहस्ती परियोजना |
चिनाब नदी (JAR) (फ्रांस के सहयोग से ) |
पोचम्पाद |
गोदावरी ( आन्ध्र |
दुर्गापुर बैराज |
दामोदर नदी (झारखण्ड-प. बंगाल) |
मयूराक्षी |
मुरलीनदी (प. |
कंगसावती परियोजना |
कंगसावती नदी (प. बंगाल) |
घाटप्रभा |
घाटप्रभा (कर्नाटक) |
मालप्रभा परियोजना |
मालप्रभा (कर्नाटक) |
बाणसागर |
सोन नदी (UP, MP, बिहार) |
राजघाट परियोजना |
बेतवा नदी (UP, M.P.) |
माताटीला |
बेतवा नदी (UP, |
उर्मिल परियोजना |
उर्मिल नदी (UP, MP) |
गण्डक |
गण्डक नदी (नेपाल, UP, |
तीस्ता परियोजना |
तीस्ता नदी (सिक्किम) |
तीस्ता |
पश्चिम बंगाल |
कोयलकारो परियोजना |
कोयलकारो नदी (झारखण्ड) |