ISRO-भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह प्रणाली | ISRO-Indian Remote Sensing Satellite System

 ISRO-भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह प्रणाली

ISRO का पूरा नाम Indian Space Research Organisation है. जो भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली को विकसित करती है इस पोस्ट में आपको भारत द्वारा बनाये गए उपग्रह की सूचि और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह-ISRO 

प्रबन्धन तथा निरीक्षण का तकनीकी परिप्रेक्ष्य…

भारत में प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी, निरीक्षण उत्खनन तथा प्रबन्धन के लिए सुदूर-संवेदन तकनीक को अपनाया गया है। इस तकनीक के माध्यम से भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन द्वारा सुदूर संवेदी उपग्रहों को अन्तरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया जाता है जो हमारी आर्थिक समृद्धि को नया रूप देने में सक्षम होते हैं।

किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों विशेष रूप से भू-संसाधनों की गवेषणा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। गवेषणाओं केलिए उपग्रह-आधारित सुदूर-संवेदन हमारे अन्तरिक्ष कार्यक्रमों में विशिष्ट स्थान रखते हैं। भारत जैसे ‘विशाल देश में विभिन्न भू-वैज्ञानिक विशिष्टताएँ मौजूद हैं, इसलिए यहाँ विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों (पृथ्वी एवं समुद्र) की मॉनीटरिंग और प्रबन्धन हेतु उपग्रह सुदूर संवेदन इष्टतम साधन है।

भारत के सुदूर संवेदी उपग्रह

सुदूर संवेदन से अगम्य क्षेत्रों; जैसे-पर्वतों, दलदली क्षेत्रों, घने वनों तथा गहरे समुद्रों इत्यादि की जानकारी प्राप्त की जाती है। सुदूर संवेदन प्रारम्भ से – ही भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का एक विशिष्ट अंग रहा है। भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों की श्रृंखला की संरचना दीर्घकालिक और अथक परिश्रम तथा भास्कर-I एवं भास्कर-II जैसे प्रायोगिक उपग्रहों से प्राप्त अनुभवों पर आधारित है। सुदूर-संवेदन उपग्रहों के ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करने से समस्त पृथ्वी का सर्वेक्षण बहुत किफायत से होता है, क्योंकि इसमें से उपग्रह को पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने का लाभ मिल जाता है।

भास्कर-1-
‘आर्यभट्ट’ की सफलता (19 अप्रैल,
1975) के पश्चात् 7 जून, 1979 को सोवियत रूस
से कॉस्मोस रॉकेट द्वारा भू-प्रेक्षण उपग्रह
‘भास्कर-I’को प्रमोचित किया
गया। इसे पृथ्वी की
सतह से लगभग 500 किमी
ऊँची वृत्तीय कक्षा में भूमध्य रेखा
से 51° आनतिकोण पर स्थित किया
गया था। भास्कर-I की
सुदूर संवेदन क्षमताओं का उपयोग जल
विज्ञान, वन विज्ञान तथा
भू- – विज्ञान के लिए किया
गया।

भास्कर-11- नवम्बर, 1981 में सोवियत रूस
के एक अन्तरिक्ष केन्द्र
से भू-प्रेक्षण उपग्रह
शृंखला का द्वितीय उपग्रह
(भास्कर-II) प्रमोचित किया गया था।
इसका लक्ष्य यह था कि
भास्कर-I के जीवन काल
की समाप्ति के पश्चात् भी
आँकड़ों को संग्रह करने
की प्रक्रिया निरन्तर बनी रहे। इस
उपग्रह से भी विभिन्न
जानकारियाँ तथा आकँड़े एकत्र
किए गए, जिनको विभिन्न
अनुसन्धान संगठनों द्वारा विश्लेषित कर अन्तरिक्ष के
अन्य रहस्यों के बारे में
ज्ञान प्राप्त किया गया।

भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह प्रणाली
भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह प्रणाली

हमारी
आईआरएस श्रृंखलाएँ-

भारतीय
सुदूर-संवेदन (Indian Remote
Sensing; IRS)
उपग्रह प्रणाली 1988 में ‘आईआरएस-1 ए’
के प्रमोचन के साथ आरम्भ
हुई। 11 उपग्रहों के प्रचालन के
साथ आईआरएस विश्व में वृहत्तम नागरिक
सुदूर संवेदन उपग्रह समूह है जो
विभिन्न प्रकार के स्थानिक, विभेदन,
स्पैक्ट्रमी बैण्ड और प्रमार्थों में
प्रतिबिम्बिकी उपलब्ध करा रहा है।
यह आँकड़ा कृषि, जल संसाधन, शहरी
विकास, खनिज सम्भावनाओं, पर्यावरण, वन, सूखा
और बाढ़ अनुमान, समुद्री संसाधन और आपदा प्रबन्धन को सम्मिलित करते हुए अनेक अनुप्रयोगों
में उपयोग किया जाता है।

प्रमुख देशों
की सुदूर संवेदन श्रृंखला 

देश

सुदूर संवेदन प्रणाली

संयुक्त राज्य अमेरिका

लैण्डसेट

भारत

IRS

फ्रांस

स्पॉट

जापान

JERS

लैण्डसैट

‘लैण्डसैट’
संयुक्त राज्य अमेरिका को सुदूर संवेदी उपग्रह है। नासा द्वारा वर्ष 1966 में इसका
निर्माण किया गया था। इसका पहला प्रक्षेपण ‘लैण्डसैट-1’ के रूप 23 जुलाई, 1972 को
‘डेल्टा 900’ रॉकेट से किया गया।

अमेरिकी सुदूर
संवेदी उपग्रह प्रणाली को ‘अर्थ रिसोर्सेज टेक्नोलॉजी सैटेलाइट प्रोग्राम’ भी कहा जाता
है। इस श्रृंखला के सैटेलाइट लैण्डसैट ‘डाटा कण्टिन्यूटी मिशन’ को 11 फरवरी, 2013 को
अन्तरिक्ष की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया है।

आईआरएस-1ए

प्रथम भारतीय
सुदूर संवेदन उपग्रह आईआरएस-1ए का प्रमोचन सोवियत संघ (अब रूस) से 17 मार्च, 1988 को
वोस्तातोक रॉकेट से किया गया। यह उपग्रह पृथ्वी से 904 किमी ऊँची ध्रुवीय सूर्य समकालीन
कक्षा में स्थापित किया गया। इस पर राष्ट्र के ऊपर से प्रत्येक बार गुजरने पर लगभग
140 किमी परमार्ज के साथ क्रमशः 73 मी और 36.25 मी विभेदन सहित लिस-I और लिस-II कैसरे
स्थापित किए गए थे। आठ वर्ष और चार महीनों की सेवा के बाद जुलाई, 1996 के दौरान यह
मिशन सम्पन्न हुआ।

क्या
है सुदूर-संवेदन ?

सामान्यतः
किसी वस्तु के निकट सम्पर्क
में आए बिना ही
उसके विषय में वांछित
एवं सार्थक जानकारी एकत्र करने को सुदूर
संवेदन (Remote
Sensing) कहा जाता है। प्रस्तुत
सन्दर्भ में सुदूर-संवेदन
शब्द का तकनीकी अर्थ
ऐसी विधाओं तक सीमित है
जो वस्तु के बारे में
जानकारी प्राप्त करने के साधन
के रूप में विद्युत-चुम्बकीय तरंगों का उपयोग करती
है। इसके अन्तर्गत छायाचित्र
एवं विद्युत चुम्बकीय अभिलेख प्राप्त करना तथा उनके
प्रसंस्करण व विश्लेषण की
विधियाँ सम्मिलित की जाती हैं।
किसी भी सुदूर संवेदन
प्रणाली के तीन प्रमुख
भाग हैं-प्रेषक व
अभिग्राही केन्द्र, संचार माध्यम तथा उपग्रह।

आईआरएस-1बी

आईआरएसश्रृंखला
की पहली पीढ़ी का
दूसरा उपग्रह 29 अगस्त, 1991 को प्रमोचित किया
गया। यह उपग्रह भी
लिस-I और II से सम्पन्न था,
जिनका आकाशीय विभेदन क्रमशः 72.5 मी और 36.25 मी
था। इस उपग्रह ने
वर्ष 1997 तक पृथ्वी के
दो लाख से भी
अधिक प्रतिबिम्ब उपलब्ध कराए।

आईआरएस-1बी इस उपग्रह
में त्रिविम विभेदन तथा प्रतिबिम्बन, अतिरिक्त
वर्णक्रम बैण्ड, विस्तृत क्षेत्र सर्वेक्षण और अधिक पुनरागमन
आदि की संवर्द्धित क्षमताएँ
हैं। इसमें आकड़ों को रिकॉर्ड करने
के लिए टेप रिकॉर्डर
भी रखा गया है।
इसके पैक्रोमैटिक कैमरे 5.6 मी के विभेदन
वाले आँकड़े शहरी आयोजना और
संगठनों के मानचित्रों के
लिए उपयोगी है।

आईआरएस-1डी 2000 किग्रा भार के इस
उपग्रह को श्रीहरिकोटा से
29 सितम्बर, 1997 को प्रमोचित किया
गया। पूर्णतया स्वदेश में निर्मित प्रमोचन
यान (पीएसएलवी) द्वारा प्रक्षेपित इस श्रृंखला का
यह पहला उपग्रह था।
इसका प्रक्षेपण भारत की भूमि
से किया गया।

 

आईआरएस-पी2 इसमें लिस-11
कैमरे हैं, जिनमें 32 मी
का उन्नत विभेदन और 148 किमी का प्रमार्ज
है। ये पूर्णतया कार्यरत
हैं।

आईआरएस-पी3 यह उपग्रह
समुद्र विज्ञान और वनस्पति गतिकी
से सम्बन्धित उपयोगों के लिए दो
सुदूर उपकरण नीतभार ले गया है।
इससे वनस्पति तथा फसलों की
वृद्धि का अनुमान लगाया
जा सकता है।

आईआरएस-पी4 इसे पीएसएलवी-सी2 से मई,
1999 में प्रभोचित किया गया। इसमें
सागर रंग मॉनीटर तथा
बहुआवृत्ति क्रमवीक्षण, सूक्ष्म तरंग रेडियो मीटर
आदि समुद्र विज्ञानीय उपयोगों के लिए भेजे
गए। इसलिए इसे ‘ओशनसैट’ भी
कहा जाता है।

आईआरएस-पी5 (कार्टोसैट) यह
उपग्रह 30 किमी के संचालनीय
प्रमार्ज सहित 2.5 मी से बेहतर
विभेदन प्रदान करने वाले दो
सार्ववणी (पैक्रोमैटिक) कैमरों सहित किरण चित्रण
सम्बन्धी कार्यों के लिए उपयुक्त
है। भूसम्पत्ति मानचित्रण को अद्यतन करना,
भू-उपयोग, जीआईएस उपयोग इसके अन्य उपयोग
हैं। इसमें पाँच दिनों की
पुनरागमन क्षमता है। कार्टोसेट-2 इसका
और अधिक उन्नत संस्करण
है।

आईआरएस-पी6 (रिसोर्ससैट-1) इसमें
बहुस्पैक्ट्रमी कैमरा लिस-111 है जो चार
स्पेक्ट्रमी बैण्डों में 23.5 मी का आकाशीय
विभेदन प्रदान करता है। इस
उपग्रह का नीत भार
1360 किया है। इसे 17 अक्टूबर,
2003 को श्रीहरिकोटा से प्रमोचित किया
गया।

स्मार्ट
फैक्ट्स

  1. बंगलुरु
    स्थित ‘उपग्रह नियन्त्रण केन्द्र’ तथा लखनऊ एवं
    मॉरीशस स्थित भू-स्टेशन आईआरएस
    की निरन्तर मॉनीटरिंग तथा आवर्तन करते
    हैं।
  2. राष्ट्रीय
    सुदूर-संवेदन अभिकरण की शादनगर, हैदराबाद
    स्थित शाखा में उपग्रह
    से प्राप्त आँकड़ों का संग्रहण होता
    है।
  3. इस श्रृंखला के अन्तरिक्ष यानों
    को ऊँची कक्षा में
    ले जाना तथा उनकी
    अभिवृत्ति व कक्षा से
    नियन्त्रित उनकी नोदक प्रणाली
    से किया जाता है
    जो एक नोदक हाइड्राजीन
    पर काम करती है।
  4. प्राप्त
    आँकड़ों का संसाधन तथा
    वितरण एनआरएसए के हैदराबाद स्थित
    सेवा केन्द्र से होता है।
  5. एनआरएसए
    के अन्य कार्य हैं-राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं
    का समन्वय करना, अध्ययनों कर आयोजन करना
    तथा प्रशिक्षण प्रदान करना।
  6. आईआरएस
    श्रृंखला में चित्र प्राप्ति
    के लिए चार्ज कपल्ड
    यन्त्रों (सीसीडी) का उपयोग होता
    है।
  7. ऊँची
    कक्षा में ले जाने
    के समय उच्च दाब
    वाली हीलियम को 235 बार से 16 बार
    तक नियन्त्रित

आईआरएस
के कार्य क्षेत्र

राष्ट्रीय
स्तर पर सुदूर-संवेदन
सम्बन्धी परियोजनाओं की परियोजना का
अनेक क्षेत्रों में स्थायी समितियों
की देख-रेख में
कार्यान्वयन हो रहा है।
आईआरएस निम्न क्षेत्रों के लिए कार्यरत
है

  1. मौसम
    अवलोकन
  2. कृषि
    उत्पादन आकलन
  3. मात्स्यकी
    सर्वेक्षण
  4. मृदा
    मानचित्रण
  5. पशुपालन
  6. भू-उपयोग/भू-आवरण मानचित्रण
  7. सूखा
    मॉनीटरिंग एवं आकलन
  8. बाढ़
    संकट और क्षति आकलन
  9. सिंचाई
    जल प्रबन्ध का आंकलन
  10. हिम
    मानचित्रण
  11. वानिकी
  12. समुद्र
    विज्ञान
  13. विशिष्ट
    प्रयोजन
  14. फसल
    प्रणाली विश्लेषण
  15. उर्वरक प्रवृत्ति निर्धारण
  16. जैव-विविधता विशिष्टीकरण
  17. मरुस्थलीय
    क्षेत्रों के समेकित संसाधन
    राष्ट्रीय आकाशीय आँकड़ा अवसंरचना
  18. राष्ट्रीय
    (प्राकृतिक) संसाधन सूचना प्रणाली
  19. भू-स्खलन जोखिम वाले क्षेत्रों का
    मानचित्रण
  20. विशिष्ट
    सुदूर संवेदी उपग्रह

रडार
प्रतिबिम्बिन उपग्रह (रीसैट)
यह मिशन कृषि
तथा आपदा सम्बन्धी उपयोगों
की वृद्धि करते हुए प्रचालनात्मक
सुदूर संवेदन कार्यक्रम को सहायता तथा
संवर्द्धन प्रदान करने की सम्भावना
पर कार्य कर रहा है।
इसके पास सभी मौसमों
में दिन और रात
के प्रेक्षण की क्षमता है।

रीसैट-1
यह एक अत्याधुनिक सूक्ष्म
तरंग दूर-संवेदीउपग्रह
सिन्थेटिक एपर्चर राडार (एसएआर) नीत भार है
जो सी-बैण्ड में
( 5.55 GHz) प्रचालित है जो सभी
मौसमों में विभिन्न परिस्थितियों
में दिन और रात
के दौरान भू-सतह के
लक्षणों के प्रतिबिम्बन लेने
में सक्षम है। इसका कृषि
उपभोग हेतु और प्राकृतिक
आपदा प्रबन्धन (जैसे- बाढ़, चक्रवात आदि) में उपयोग
किया जा रहा है।

 ओशनसैट-2
इसे 23 सितम्बर, 2009 को श्रीहरिकोटा से
प्रमोचित किया गया है।
यह तीन नीतभार वहन
करता है

  • समुद्री
    कलर मॉनीटर
  • केयू-बैण्ड पेन्सिल किरण प्रकीर्णमापी
  • इतालवी
    अन्तरिक्ष एजेन्सी द्वारा विकसित वायुमण्डल के लिए उपगूहन
    ध्वनित्र (रोसा)

कार्टोसैट-2बी यह अपने
पूर्ववर्ती कार्टोसैट-2 और 2ए के
समान ही एक पैंक्रोमैटिक
कैमरा वहन करता है।
इसके द्वारा भेजे गए दृश्य
विशिष्ट स्थान प्रतिबिम्बिकी मानचित्रकला तथा दूसरे कई
अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी
हैं।

1965

स्पेस साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी सेण्टर (थुम्बा) की स्थापना।

1968

अहमदाबाद में एक्सपेरिमेण्टल सैटेलाइट कम्यूनिकेशन अर्थ स्टेशन की स्थापना।

1969

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) की स्थापना।

1971

श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेण्टर स्थापित।

1979

प्रथम दूरसंवेदी उपग्रहभास्करका प्रक्षेपण।

1988

भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रहआईआरएस-1का प्रक्षेपण।

2005

कार्टोसैट-1 का प्रक्षेपण।

2007

कार्टोसैटका प्रक्षेपण।           

2009

रीसैट-1 तथा ओशनसैट का परीक्षण।

रिसोर्ससैट-2
इसका उद्देश्य रिसोर्ससैट-1 द्वारा प्रदत्त दूर-संवेदन आँकड़ा
सेवाओं को जारी रखना
है तथा संवर्द्धित बहुस्पेक्ट्रमी
और स्थानिक आवरण के साथ
भी आकड़े प्रदान करना है।

मेघा
ट्रॉपिक्स
यह जल चक्र
तथा ऊर्जा विनिमय के अध्ययन हेतु
एक संयुक्त भारत-फ्रांस उपग्रह
मिशन है। इस मिशन
का मुख्य उद्देश्य संवहनी प्रणाली के जीवन चक्र
को समझना जो उष्ण कटिबन्धीय
मौसम तथा वायुमण्डल को
तथा सह ऊर्जा में
उनकी भूमिका तथा उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र
के वायुमण्डल में आर्द्र बजट
को प्रभावित करता है।

SN Name Launch Date
112 EOS-03             Aug 12, 2021
111 CMS-01 Dec 17, 2020
110 EOS-01 Nov 07, 2020
109 GSAT-30 Jan 17, 2020
108 RISAT-2BR1 Dec 11, 2019
107 Cartosat-3 Nov 27, 2019
106 Chandrayaan2 Jul 22, 2019
105 RISAT-2B May 22, 2019
104 EMISAT Apr 01, 2019
103 GSAT-31 Feb 06, 2019
102 Microsat-R Jan 24, 2019
101 GSAT-7A Dec 19, 2018
100 GSAT-11 Mission Dec 05, 2018
99 HysIS Nov 29, 2018
98 GSAT-29 Nov 14, 2018
97 IRNSS-1I Apr 12, 2018
96 GSAT-6A Mar 29, 2018
95 INS-1C Jan 12, 2018
94 Microsat Jan 12, 2018
93 Cartosat-2 Series Satellite Jan 12, 2018
92 IRNSS-1H Aug 31, 2017
91 GSAT-17 Jun 29, 2017
90 Cartosat-2 Series Satellite Jun 23, 2017
89 GSAT-19 Jun 05, 2017
88 GSAT-9 May 05, 2017
87 INS-1B Feb 15, 2017
86 Cartosat -2 Series Satellite Feb 15, 2017
85 INS-1A Feb 15, 2017
84 RESOURCESAT-2A Dec 07, 2016
83 GSAT-18 Oct 06, 2016
82 SCATSAT-1 Sep 26, 2016
81 INSAT-3DR Sep 08, 2016
80 CARTOSAT-2 Series Satellite Jun 22, 2016
79 IRNSS-1G Apr 28, 2016
78 IRNSS-1F Mar 10, 2016
77 IRNSS-1E Jan 20, 2016
76 GSAT-15 Nov 11, 2015
75 Astrosat Sep 28, 2015
74 GSAT-6 Aug 27, 2015
73 IRNSS-1D Mar 28, 2015
72 Crew module Atmospheric Re-entry Experiment (CARE) Dec 18, 2014
71 GSAT-16 Dec 07, 2014
70 IRNSS-1C Oct 16, 2014
69 IRNSS-1B Apr 04, 2014
68 GSAT-14 Jan 05, 2014
67 Mars Orbiter Mission Spacecraft Nov 05, 2013
66 GSAT-7 Aug 30, 2013
65 INSAT-3D Jul 26, 2013
64 IRNSS-1A Jul 01, 2013
63 SARAL Feb 25, 2013
62 GSAT-10 Sep 29, 2012
61 RISAT-1 Apr 26, 2012
60 Megha-Tropiques Oct 12, 2011
59 GSAT-12 Jul 15, 2011
58 GSAT-8 May 21, 2011
57 RESOURCESAT-2 Apr 20, 2011
56 YOUTHSAT Apr 20, 2011
55 GSAT-5P Dec 25, 2010
54 CARTOSAT-2B Jul 12, 2010
53 GSAT-4 Apr 15, 2010
52 Oceansat-2 Sep 23, 2009
51 RISAT-2 Apr 20, 2009
50 Chandrayaan-1 Oct 22, 2008
49 CARTOSAT – 2A Apr 28, 2008
48 IMS-1 Apr 28, 2008
47 INSAT-4CR Sep 02, 2007
46 INSAT-4B Mar 12, 2007
45 SRE-1 Jan 10, 2007
44 CARTOSAT-2 Jan 10, 2007
43 INSAT-4C Jul 10, 2006
42 INSAT-4A Dec 22, 2005
41 HAMSAT May 05, 2005
40 CARTOSAT-1 May 05, 2005
39 EDUSAT Sep 20, 2004
38 IRS-P6 / RESOURCESAT-1 Oct 17, 2003
37 INSAT-3E Sep 28, 2003
36 GSAT-2 May 08, 2003
35 INSAT-3A Apr 10, 2003
34 KALPANA-1 Sep 12, 2002
33 INSAT-3C Jan 24, 2002
32 The Technology Experiment Satellite (TES) Oct 22, 2001
31 GSAT-1 Apr 18, 2001
30 INSAT-3B Mar 22, 2000
29 Oceansat(IRS-P4) May 26, 1999
28 INSAT-2E Apr 03, 1999
27 IRS-1D Sep 29, 1997
26 INSAT-2D Jun 04, 1997
25 IRS-P3 Mar 21, 1996
24 IRS-1C Dec 28, 1995
23 INSAT-2C Dec 07, 1995
22 IRS-P2 Oct 15, 1994
21 SROSS-C2 May 04, 1994
20 IRS-1E Sep 20, 1993
19 INSAT-2B Jul 23, 1993
18 INSAT-2A Jul 10, 1992
17 SROSS-C May 20, 1992
16 IRS-1B Aug 29, 1991
15 INSAT-1D Jun 12, 1990
14 INSAT-1C Jul 22, 1988
13 SROSS-2 Jul 13, 1988
12 IRS-1A Mar 17, 1988
11 SROSS-1 Mar 24, 1987
10 INSAT-1B Aug 30, 1983
9 Rohini Satellite RS-D2 Apr 17, 1983
8 INSAT-1A Apr 10, 1982
7 Bhaskara-II Nov 20, 1981
6 APPLE Jun 19, 1981
5 Rohini Satellite RS-D1 May 31, 1981
4 Rohini Satellite RS-1 Jul 18, 1980
3 Rohini Technology Payload (RTP) Aug 10, 1979
2 Bhaskara-I Jun 07, 1979
1 Aryabhata Apr 19, 1975

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