मौर्य साम्राज्य (322-185) ईसा पूर्व – प्राचीन भारतीय इतिहास UPSC के लिए NCERT नोट्स | Mauryan Empire (322-185) BCE – Ancient Indian History NCERT Notes for UPSC in hindi

मौर्य साम्राज्य (322-185) Mauryan Empire

प्राचीन भारत में, कई महत्वपूर्ण साम्राज्य विकसित हुए। उनमें से एक मौर्य साम्राज्य Notes (322-185) ईसा पूर्व – प्राचीन भारतीय इतिहास था। 

चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित, मौर्य साम्राज्य Notes हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजवंश था। यह लेख IAS परीक्षा के लिए मौर्य साम्राज्य पर NCERT नोट्स प्रदान करेगा

 ये नोट्स अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे बैंकिंग पीओ, एसएससी, राज्य सिविल सेवा परीक्षा आदि के लिए भी उपयोगी होंगे। यह लेख प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के उदय और विकास के बारे में बात करता है, जो आईएएस परीक्षा के इतिहास पाठ्यक्रम में एक महत्वपूर्ण विषय है।

मौर्य साम्राज्य (322-185) ईसा पूर्व – प्राचीन भारतीय इतिहास 

मौर्य साम्राज्य
के संस्थापक
– चंद्रगुप्त मौर्य

मौर्य साम्राज्य
– चंद्रगुप्त मौर्य की विजय

मौर्य साम्राज्य
– इतिहास अध्ययन सामग्री और नोट्स के तहत।

सिकंदर के आक्रमण
के बाद, भारत में उत्तर पश्चिमी क्षेत्र को विभिन्न विदेशी हमलों का सामना करना पड़ा
जिससे इन भारतीय राज्यों में अशांति फैल गई। जबकि, उस समय शासन करने वाले नंद धनानंद
द्वारा कृषि पर लगाए गए अपने गंभीर कराधान शासन के कारण लोकप्रिय नहीं थे
। इस तरह की
स्थितियों ने अन्य अधिकारियों को शासन संभालने का अवसर दिया।

Mauryan Empire (322-185) BCE


यह भारत के
इतिहास में दर्ज सबसे महान साम्राज्यों में से एक था। मौर्यों का शासन 322 – 185 ई.पू.
जहां महान संस्थापक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा भारत के अधिकांश हिस्से को एक राज्य
के रूप में एकजुट किया गया था। कौटिल्य या चाणक्य की मदद से चंद्रगुप्त मौर्य ने इस
विशाल साम्राज्य की नींव रखी।

चंद्रगुप्त
के बाद, उनके पुत्र बिंदुसार
ने लगभग पूरे उपमहाद्वीप पर राज्य का विस्तार किया। यह
ध्यान दिया जाना चाहिए कि मौर्य साम्राज्य के पास प्राचीन भारत में सबसे शक्तिशाली
सेना थी। बिंदुसार के बाद मौर्य वंश का सबसे बड़ा सम्राट अशोक आया। वे एक कुशल योद्धा
और कुशल प्रशासक थे। कलिंग युद्ध के बाद, अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया और उसने
मिशनरियों को भेजकर भारतीय उपमहाद्वीप में इसका प्रसार किया।

मौर्य राजवंश
के शासकों के विवरण का वर्णन हम एक अन्य पोस्ट में करेंगे, पहले मौर्य साम्राज्य के
बारे में एक अन्य महत्वपूर्ण विषय पर विचार करते हैं, उनका प्रशासन

मौर्य
साम्राज्य – शासक

चंद्रगुप्त मौर्य

(324/321-297 ईसा पूर्व )

बिन्दुसार

(297-272 ईसा पूर्व )

अशोका

(232-268 ईसा पूर्व )

 

 मौर्य
युग

  • मौर्य
    इतिहास
    के प्रमुख स्रोत
    कौटिल्य (चाणक्य या विष्णुगुप्त)
    का
    अर्थशास्त्रऔर मैगस्थनीज की
    पुस्तकइंडिका
    है।
  • मैगस्थनीज
    चंद्रगुप्त के दरबार में
    यूनानी सम्राट सैल्यूकस का राजदूत 304 से
    299 . पू.
    रहा।
  • पांचवीं
    शताब्दी में विशाखादत्त ने
    मुद्राराक्षस
    नाम की पुस्तक
    की रचना की। इस
    पुस्तक में मौर्य युग
    का इतिहास वर्णित है।
  • वायु
    पुराण और विष्णु पुराण
    में भी मार्य युग
    की जानकारी उपलब्ध है।
  • बौद्ध
    साहित्य मेंदीप वंश‘,
    महावंश‘, ‘बोधि वंश‘, ‘टीका
    तथादिव्यवदान
    आदि में मौर्य
    इतिहास की जानकारी उपलब्ध
    है।
  • जैन
    साहित्य में भद्रवाहु की
    रचनाकल्पसूत्रऔर हेम चंद्र
    की रचनापरिशिष्टपर्वानमें मौर्ययुगीन इतिहास
    उपलब्ध है।
  • विदेशियों
    के वृतांत जैसे सिकंदर के
    साथी न्यारकस, उनैसीक्रीटस तथा अरिस्टोबलस, स्टैबो
    कार्टियस, डिओडोरस, प्लूटार्क, जस्टिन, प्लिनी आदि, चीनी यात्री
    फाह्याण, वेण सांग तथा
    इत्सिंग के विवरण आदि
    से मार्य कालीन जानकारी प्राप्त होती है।
  • भारत
    के विभिन्न भागों, पाकिस्तान और अफगानिस्तान अशोक
    के प्राप्त हुए 37 अभिलेख, रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख,
    मौर्यकालीन कलाकृतियां तथा भग्नावशेष, स्तूपों,
    विहारों, मठों, गुफाओं आदि से तथा
    मौर्यकालीन सिक्के भी उस समय
    के इतिहास पर प्रयाप्त प्रकाश
    डालते हैं।
  • चंद्रगुप्त
    मौर्य ने अपने गुरु
    चाणक्य (कौटिल्य या विष्णुगुप्त) की
    सहायता से मगध के
    शासक घनानंद का वध करके
    मगधपर अधिकार कर
    लिया था।
  • ब्राह्मण
    ग्रंथ के अनसार चंद्रगुप्त
    शूद्र था जबकिमुद्राराक्षस
    में उसके लिएवृषल
    औरकुलहीनशब्द का प्रयोग
    हुआ है।
  • अर्थशास्त्र
    चंद्रगुप्त मौर्य के क्षत्रिय होने
    के संकेत मिलते हैं।
  • बौद्ध
    साहित्यमहावंशऔरदिव्यवदानआदि
    में चंद्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय स्वीकार
    किया गया है।
  • चंद्रगुप्त
    मौर्य कीचंद्रगुप्तसंज्ञा
    का प्राचीनतम अभिलेखीय साक्ष्य रुद्रदम के जूनागढ़ अभिलेख
    से मिलता है।
  • चंद्रगुप्त
    मौर्य की दक्षिण भारत
    की विजय के विषय
    में जानकारी तमिल ग्रंथअहनानूख
    औरमुरनानुरतथा अशोक के
    अभिलेखों से मिलती है।
  • चंद्रगुप्त
    का साम्राज्य उत्तर में हिमालय तथा
    पश्चिम में हिंदूकुश तक
    फैला
    था इसकी राजधानी
    पाटलिपुत्र
    थी।
  • नंद
    वंश का अंत कर
    चंद्रगुप्त ने इतना बड़ा
    साम्राज्य स्थापित किया कि उसे
    ही भारतीय साम्राज्य का पहला ऐतिहासिक
    संस्थापक माना जाता है।
  • सर्वप्रथम
    चंद्रगुप्त ने मगध पर
    आक्रमण किया
    , इस युद्ध में
    में उसे असफलता मिली।
  • इसके
    बाद उसने सर्वप्रथम पंजाब
    और फिर मगध पर
    विजय प्राप्त
    की।
  • मगध
    की केंद्रय सत्ता हाथ लगने के
    बाद उसने 305 . पू. सैल्यूकस
    को पराजित
    किया।
  • युद्ध
    में पराजित होने पर सैल्यूकस
    को अपनी पुत्रीहेलन
    का विवाह चंद्रगुप्त से करना पड़ा।
  • सैल्यूकस
    को हार के परिणाम
    स्वरूप कंधार, काबुल, हिरात और बलूचिस्तान चंद्रगुप्त
    को सौंपने पड़े। चंद्रगुप्त मौर्य
    के पश्चात उसका पुत्रबिंदुसार
    गद्दी पर बैठा।
  • यूनानी
    लेखकों ने बिंदुसार को
    अमित्रघातकी उपाधि
    दी
    पौराणिक अनुश्रुति में उसेनंदसार
    औरभद्रसारलिखा गया है।
    जैन ग्रंथ मेंविदुसारऔर
    चीनी ग्रंथ मेंबिंदुपालनाम
    दिया गया है।
  • बौद्ध
    ग्रंथ के अनुसार उसकी
    16 रानियां थीं जिनमेंसुभद्रागी
    प्रमुख थी।
  • बिंदुसार
    द्वारा अपने शासनकाल में
    किसी प्रदेश की विजित करने
    का प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
  • बिंदुसार
    ने यूनान, मिश्र, सीरिया आदि देशों से
    मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए।
  • यूनानी
    राजदूतडैमकसबिंदुसार के दरबार में
    आया।
  • बिंदुसार
    के शासनकाल में मिश्र के
    शासक ने एक राजदूत
    डायोनिसियस
    भारत भेजा था।
  • पुराणों
    के अनुसार बिंदुसार ने 25 वर्ष राज्य किया
    जबकि बौद्ध ग्रंथों उसका शासनकाल 27 या
    28 वर्षों का बताया गया
    है।
  • बिंदुसार
    की मृत्यु 274 . पू.
    में
    हुई थी।
  • बौद्ध
    ग्रंथ के अनुसार बिंदुसार
    के 101 पुत्रों में सेसुमन
    (सुसीम) सबसे बड़ा, ‘अशोक
    दूसरा औरतिष्यसबसे
    छोटा था।
  • अठारह
    वर्ष की आयु में
    अशोक कोअवंतिराष्ट्र का
    प्रमुख बनाकरउज्जयिनीभेजा।
  • अशोक
    नेमहादेवीनाम की शाक्यकुलीन
    विदिशा की राजकुमारी से
    विवाह किया। महेंद्र और संघमित्रा अशोक
    और महादेवी के संतान थे।
  • अशोक
    के इलाहाबाद स्तम्भ लेख से ज्ञात
    होता है कि उसकी
    दूसरी पत्नी का नामकारूपाकी
    था और उसके पुत्र
    का नामसिवरथा।
  • बौद्ध
    ग्रंथ के अनुसार अशोक
    ने अपने 99 भाइयों का वध करके
    सिंहासन पर अधिकार किया
    था अशोक का बड़ा
    भाई सुसीम हो उसका प्रतिद्वंद्वी
    था।
  • अशोक
    के गद्दी पर बैठने के
    बावजूद उसके विधिवत् राज्यभिषेक
    होने में 269 . पू. तक
    चार वर्षों का विलम्ब हुआ।
  • कलिंग
    युद्ध 261 . पू. हुआ
    था अशोक ने अपने
    राज्य के तेरहवें वर्ष
    मेंकलिंगपर विजय प्राप्त
    की।

कलिंग
युद्ध का वर्णन अशोक
ने शिलालेख 13 के अंतर्गत स्वयं
लिखवाए। कलिंग पर आक्रमण करने
के कई कारण बताए
जाते हैं:

  1. अशोक
    एक वीर योद्धा, महत्वाकांक्षी
    तथा साम्राज्यवादी शासक था।
  2. मैगस्थनीज
    के अनुसार कलिंग के  शासक के पास एक
    विशाल और सुदृढ़ सेना
    थी।
  3. कलिंग
    अशोक के साम्राज्यवादी शरीर
    में एक कांटा था।
    राज्य की सुरक्षा, दृढ़ता
    और एकीकरण के लिए कलिंग
    को जीतना बहुत जरूरी था।
  4. अशोक
    दक्षिण भारत जाने वाले
    जल और स्थल भागों
    पर अधिकार करना चाहता था।

 राजतरंगिणीके लेखक कल्हण
के अनुसार अशोक भगवान शिव
का अनुयायी था।

ऐतिहासिक स्रोत

चंद्रगुप्त के जीवन और उपलब्धियों का वर्णन प्राचीन और ऐतिहासिक ग्रीक, हिंदू, बौद्ध और जैन ग्रंथों में किया गया है, हालांकि वे विस्तार से काफी भिन्न हैं। चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन का वर्णन करने वाले ऐतिहासिक स्रोत विस्तार से काफी भिन्न हैं। चंद्रगुप्त का जन्म लगभग 340 ईसा पूर्व हुआ था और लगभग 295 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई थी। 

कालानुक्रमिक क्रम में उनके मुख्य जीवनी स्रोत हैं: 
भारत की संसद में चरवाहा चंद्रगुप्त मौर्य की मूर्ति

  • ग्रीक और रोमन स्रोत, जो सबसे पुराने जीवित अभिलेख हैं जिनमें चंद्रगुप्त या उनसे संबंधित परिस्थितियों का उल्लेख है; इनमें नियरचस, ओनेसिक्रिटस, कैसंड्रिया के अरिस्टोबुलस, स्ट्रैबो, मेगस्थनीज, डियोडोरस, एरियन, प्लिनी द एल्डर, प्लूटार्क और जस्टिन द्वारा लिखित कार्य शामिल हैं।
  • पुराण और अर्थशास्त्र जैसे हिंदू ग्रंथ; बाद में रचित हिंदू स्रोतों में विशाखदत्त की मुद्राराक्षस, सोमदेव की कथासरितसागर और क्षेमेंद्र की बृहतकथामंजरी में किंवदंतियां शामिल हैं।
  • बौद्ध स्रोत वे हैं जो चौथी शताब्दी या उसके बाद के हैं, जिनमें श्रीलंकाई पाली ग्रंथ दीपवंश (राजवंश खंड), महावंश, महावंश टीका और महाबोधिवंश शामिल हैं।
  • श्रवणबेलगोला में 7वीं से 10वीं शताब्दी के जैन शिलालेख; ये विद्वानों के साथ-साथ श्वेतांबर जैन परंपरा द्वारा विवादित हैं। [10] [11] मौर्य सम्राट का उल्लेख करने के लिए व्याख्या किया गया दूसरा दिगंबर पाठ 10 वीं शताब्दी के बारे में है जैसे कि हरिसेना (जैन भिक्षु) के ब्रहतकथाकोश में, जबकि चंद्रगुप्त के बारे में पूरी जैन कथा 12 वीं शताब्दी में हेमचंद्र द्वारा पेरिसष्टपर्वन में पाई जाती है।
FAQ 1 :मौर्य वंश का संस्थापक कौन है?

मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था। 323 ईसा पूर्व में सिकंदर महान की मृत्यु के मद्देनजर, चंद्रगुप्त (या चंद्रगुप्त मौर्य) ने सिकंदर के पूर्व साम्राज्य के दक्षिण-पूर्वी किनारों से पंजाब क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।

FAQ 2 :मौर्य वंश का पतन क्यों हुआ ?

अशोक/अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य वंश का पतन तेजी से हुआ। इसका एक स्पष्ट कारण कमजोर राजाओं का उत्तराधिकार था। एक अन्य तात्कालिक कारण साम्राज्य का दो भागों में विभाजन था। 232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।

FAQ 3 :क्या गुप्त वंश और मौर्य वंश एक ही थे ?

मौर्य साम्राज्य गुप्त साम्राज्य की तुलना में विशाल था। मौर्य शासकों ने एक केंद्रीकृत प्रशासन संरचना का पालन किया, जबकि गुप्त शासकों ने एक विकेन्द्रीकृत प्रशासनिक संरचना का पालन किया। मौर्य शासकों ने मुख्य रूप से गैर-हिंदू धर्मों का समर्थन और प्रचार किया; जबकि गुप्त शासकों ने हिंदू धर्म का पालन किया और उसे बढ़ावा दिया।

FAQ 4 :मौर्य साम्राज्य को किसने नष्ट किया ?

मौर्य साम्राज्य को अंततः 185 ईसा पूर्व में पुष्यमित्र शुंग द्वारा नष्ट कर दिया गया था। हालांकि एक ब्राह्मण, वह बृहद्रथ नामक अंतिम मौर्य शासक का एक सेनापति था। कहा जाता है कि उसने बृहद्रथ को सार्वजनिक रूप से मार डाला और जबरन पाटलिपुत्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। शुंगों ने पाटलिपुत्र और मध्य भारत में शासन किया।

FAQ 5 :गुप्त साम्राज्य का पतन क्यों हुआ ?

हूण लोगों, जिन्हें हूण भी कहा जाता है, ने गुप्त क्षेत्र पर आक्रमण किया और साम्राज्य को काफी नुकसान पहुंचाया। गुप्त साम्राज्य 550 सीई में समाप्त हो गया, जब यह पूर्व, पश्चिम और उत्तर से कमजोर शासकों और आक्रमणों की एक श्रृंखला के बाद क्षेत्रीय राज्यों में विघटित हो गया।

FAQ 6 :भारत के स्वर्ण युग के दौरान किसने शासन किया ?

गुप्त साम्राज्य, जिसने 320 से 550 ईस्वी तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया, ने भारतीय सभ्यता के स्वर्ण युग की शुरुआत की। इसे हमेशा उस अवधि के रूप में याद किया जाएगा, जिसके दौरान भारत में साहित्य, विज्ञान और कला का विकास हुआ, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

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